यूपी का महासमर और योगी के योद्धा

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प्रणय विक्रम सिंह

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प्रणय विक्रम सिंह

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित, बहुआयामी विस्तार सम्पन्न हो गया। 06 कैबिनेट मंत्री, 06 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 11 राज्य मंत्री मतलब कुल 23 मंत्री इस विस्तार के सहभागी बने। योगी के योद्धाओं में कुल मिलाकर 18 नए चेहरे शमिल किये गए हैं। 18 नये मंत्रियों के शपथ लेते ही योगी मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या 58 पहुंच चुकी है। योगी सरकार ने अपने योद्धाओं को चुनने में निष्ठा, सामर्थ्य, प्रदर्शन, क्षेत्रीय व जातीय संतुलन समेत अनेक आयामों को ध्यान में रखा।

हर तीर लक्ष्यभेदी बने, इसका चिंतन विस्तार के प्रत्येक आय़ाम में दिखाई पड़ता है। चाहे वह पश्चिम की यलगार हो या बुंदेलखण्ड की पुकार, पूरब की हुंकार हो या बृज की मनुहार, सभी को मिला है नये मंत्रिमंडल में स्थान।

यह विस्तार भी उस समय सम्पादित हुआ है कि जब प्रदेश की 13 विधान सभाओं में उपचुनाव होना प्रस्तावित है। मतलब विस्तार में चुनावी एंगल को संतुष्ट करने की भी चुनौती शामिल रही।

खैर, मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे खास बात यह दिखी कि जिन मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों में बेहतर प्रदर्शन किया था उन्हें पदोन्नति प्रदान करके योगी सरकार ने समर्पण, परिश्रम व निष्ठा को सम्मानित करने का कार्य किया है। जैसे स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्रियों- महेन्द्र सिंह, सुरेश राणा, भूपेन्द्र सिंह चौधरी और अनिल राजभर को प्रोन्नति प्रदान कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री योगी के अनुसार इन सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों में बेहतर करने की कोशिशें की और सफल भी रहे।

वहीं जो मंत्री, अपनी भूमिका के साथ न्याय नहीं कर पा रहे थे उन्हे पद मुक्त भी कर दिया गया। जैसे बताया जाता है कि अनुपमा जायसवाल को बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को संस्थागत करने के कारण, वहीं अर्चना पांडेय को उनके पीए के भ्रष्टाचार के चलते, धर्मपाल सिंह को विभागीय अनियमितताओं के चलते विवादों में होने कारण विश्राम दे दिया गया। हां, वित्त मंत्री रहे राजेश अग्रवाल ने अवश्य 75 प्लस आयु होने के कारण मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। उन्हे शीघ्र ही नई बड़ी जिम्दारी मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

उम्मीद तो यह लगाई जा रही थी कि योगी मंत्रिमंडल से चार नहीं कम से कम आठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। लेकिन कुछ तरकीबों, कुछ जुगाड़ के माध्यम से जो मंत्री अपना राजपाट बचाने में कामयाब हो गये, उनका कद अवश्य कम कर दिया गया है। इनमें स्वाति सिंह, नंद गोपाल नंदी, सिद्धार्थ नाथ सिंह और मुकुट बिहारी लाल का नाम शामिल है।

इसके बाद राम नरेश अग्निहोत्री, कमल रानी वरुण और अशोक कटारिया की ताजपोशी, कार्यकर्ताओं के मध्य यह संदेश देने में कामयाब रही कि यदि निष्ठा, ऊर्जा, धैर्य और सादगी के साथ पार्टी हित में अनवरत क्रियाशील रहा जाये, तो आपके लिये, आगे बढ़ने के तमाम अवसर संगठन स्वयं खोजेगा। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अशोक कटारिया को तो यह अवसर काफी पहले मिल जाना चाहिये था। 

यह तो था कर्मठता, सामर्थ्य और निष्ठा का सम्मान। लेकिन योगी का मंत्रिमंडल विस्तार, क्षेत्रीय व जातीय बुनियाद पर भी संतुष्ट करता नजर आता है।

क्षेत्रीय व जातीय आधार पर भी खरा

पिछली बार आगरा, बुंदेलखंड, मुजफ्फरनगर, वाराणसी, बस्ती और कानपुर मंडलों में भारी जीत के बावजूद प्रतिनिधित्व की वंचना रही थी। किंतु इस बार सभी को मंत्रिमंडल में कम या अधिक हिस्सेदारी मिली है।

यूपी की सियासत में विजय के प्रवेश द्वार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल पांच नए मंत्री बनाए गए और दो को प्रमोशन दिया गया है। पश्चिम में जातीय संतुलन को भी बड़ी नफासत के साथ स्थापित करने की कोशिश की गई है।

प्रखर और संगठन के चहेते बिजनौर के निवासी MLC अशोक कटारिया को मंत्री, स्वतंत्र प्रभार बनाकर गुर्जरों को नुमाइंदगी दी गई है तो मुजफ्फरनगर के विजय कश्यप के रूप में अति पिछड़ों को तरजीह देकर पश्चिम में 17 प्रतिशत नुमाइदंगी रखने वाले इस वर्ग को साधने की कोशिश की गई है।

दलित नेत्री और वर्तमान में घाटमपुर से विधायक कमल रानी वरुण को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को बीजेपी का बड़ा दलित कार्ड माना जा रहा है।

इतना ही नहीं अनिल राजभर का कद बढ़ाकर सुहैलदेव राजभर के वोट बैंक पर अपना हक जमाने की पहल भी कर डाली है। इसी तरह मुलायम परिवार के अभेद्य गढ़ बदायूं को दरकाने के पश्चात वहीं के पार्टी विधायक महेश चंद्र गुप्ता को मंत्रिमंडल में जगह देकर सपा के लगभग सभी किलों पर नाकाबंदी कर दी है।

 इसी तरह बुंदेलखंड से स्वतंत्र देव के इस्तीफे के बाद चित्रकूट से विधायक चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को मंत्रिमंडल में शामिल कर बुंदेलखण्ड के नेतृत्व को बरकरार रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर तो योगी काफी मेहरबान दिखे हैं क्योंकि योगी मंत्रिमंडल में वाराणसी से मंत्रियों की संख्या बढ़कर तीन हो गयी है।

नव नियुक्त मंत्रियों को दी नसीहतें

अपने नव नियुक्त मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के पूर्व एक टीम लीडर की तरह मुख्यमंत्री योगी ने भविष्य के लिये उन्हें कुछ सीखें भी दी। बताया जाता है कि आने वाले समय के लिये यह सीखें एक कसौटी की भूमिका निर्वाहित करेंगी। योगी ने कहा कि जनसेवा से बढ़कर धर्म और पुण्य का कोई कार्य नहीं है। प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ दायित्वों का निर्वहन करने से संतुष्टि मिलती है। सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता एवं ईमानदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है। कार्यों को नीति एवं नियमों से संपादित किया जाए। समयबद्धता पर बल देते हुए योगी ने कहा कि फाइलों का निस्तारण तीन दिन में किया जाए। किसी भी स्थिति में पत्रावलियां लंबित न रहें। सभी मंत्री समय से अपने कार्यालय में उपस्थित रह कर जरूरी काम निपटाएं। योगी ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता से संपर्क एवं संवाद कायम रखें। जनता की शिकायतों व समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जनसुनवाई करें। आईजीआरएस तथा सीएम हेल्पलाइन की साप्ताहिक समीक्षा करें। समस्याओं के निस्तारण की प्रगति पर लगातार ध्यान दें। विभागीय कार्यों के साथ अपने प्रभार के जिले की प्रगति की निरंतर समीक्षा आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से अपेक्षा जताई कि जिले के भ्रमण के दौरान विकास योजनाओं का भौतिक सत्यापन करते हुए जनता से फीडबैक लें। जिले में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रियों के कार्य व्यवहार और आचरण पर सभी की नजर रहती है। ऐसे में सादगी और शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए जहां तक संभव हो, सरकारी गेस्ट हाउस में रुकें। इस दौरान अनावश्यक लोगों की भीड़ न रहे। जिला प्रवास के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाए। जिले की प्रगति के संबंध में प्रत्येक माह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

सम्मुख है चुनौतियों का समर

खैर, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नई टीम क्या लोक कल्याण की योजनाओं को तेज गति से आगे बढ़ाने में सफल हो पायेगी। क्या पार्टी के घोषणापत्र में किये गये वादों को पूरा करने की दिशा में योगी के योद्धा गतिशील होंगे। क्या नई टीम कार्यकर्ताओं और सरकार के मध्य समन्वय स्थापित करने की कोशिश करेगी या हमेशा की तरह कार्यकर्ता हाशिये पर रहेगा। सवाल यह भी है कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने के मुख्यमंत्री के संकल्प को पूरा करने में कितना सफल हो पायेगी यह नई टीम। ऐसे अनेक सवाल हैं जिनसे जूझना होगा योगी के योद्धाओं को। इस संघर्ष में योगी के योद्धा कितने होंगे सफल ये तो वक्त बतायेगा।

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