प्रणय विक्रम सिंह
आस्था और आधुनिकता का अद्भुत संगम बनने जा रही है विकास के पथ पर गतिशील अयोध्या। धर्म नगरी अयोध्या का चहुंमुखी विकास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शीर्ष प्राथमिकता में है। अयोध्या को असंख्य श्रद्धालुओं के लिए अति शीघ्र तैयार करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता धर्मनगरी के विकास कार्यों की गति में परिलक्षित हो रही है।
अपने सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपद अयोध्या के विकास कार्यों के संबंध में अन्तर्विभागीय समीक्षा बैठक में कहा कि अयोध्या को ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। यह अयोध्या को अन्य नगरों के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में प्रस्तुत करेगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने का भी निर्देश दिया है। अर्थात सूर्यवंशी राजाओं की तपस्थली अयोध्या, आने वाले समय में सौर्य ऊर्जा नगर के रूप में अन्य नगरों के लिए वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण के रूप में विकसित होगी।
उसके अनेक कारण भी हैं। अयोध्या, सनातन आस्था के प्रतीक प्रभु श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण विश्व भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यदि कोराना काल को छोड़ दिया जाए तो धर्मनगरी अयोध्या में पहुंचने वाले आस्थावानों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकारी आकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 तक यह संख्या 386 लाख श्रद्धालुओं की हो जायेगी। ऐसे में सोलर ऊर्जा के प्रकाश में कल-कल बहता सरयू का जल, सौर्य ऊर्जा के प्रकाश से जगमगाता कनक भवन, सोलर शक्ति में नहाए हुए राम से जुड़े सभी तटों को देख कर भक्त और पर्यटक निश्चित रूप से प्रेरित भी होंगे।
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में स्थापित करने की योजना “प्रकृति और प्रगति” के मध्य संतुलन स्थापना का एक प्रयास है। अयोध्या को अध्यात्म और आधुनिकता के अनिर्वचनीय संयोग के रूप में विकसित करने के पीछे भी यही अवधारणा है।
दीगर है कि प्रभु श्री राम संतुलन के सूत्रधार हैं। उनका पूरा जीवन संतुलन और समावेशन का अप्रतिम उदाहरण है। योगी उन्हीं की नगरी से “प्रकृति और प्रगति” के मध्य संतुलन के प्रयास के पहल को प्रारम्भ करना चाहते हैं।
ध्यातव्य है कि सौर्य ऊर्जा के लाभों को ‘आस्था’ की पोटली में बांध कर ‘सोलर सिटी’ अयोध्या से अपने घर वापस जाने वाले भक्त, सोलर शक्ति में भी राम कृपा को महसूस करेंगे। यही नहीं, अनेक लोग सौर्य ऊर्जा के प्रयोग को ‘राम काज’ मान कर प्रचारित करेंगे।
यह भी अत्यंत प्रेरणादायक है कि अक्षत कृपा के स्वामी श्री राम की नगरी से अक्षय ऊर्जा के स्रोत अर्थात सौर्य ऊर्जा के प्रयोग का संदेश दुनिया भर को जायेगा। यह निर्णय, निश्चित रूप से प्रकृति संरक्षण की दिशा में युगांतकारी साबित होगा।
बिगड़ती पारिस्थितिकी को संवारने के लिए अन्य प्रदेशों के प्रशासकों को भी मुख्यमंत्री योगी की भांति प्रकृति को संरक्षित करने वाली जनपक्षीय नीतियों को लागू करने की पहल करनी चाहिए क्योंकि “प्रकृति और प्रगति” के मध्य संतुलन से ही वास्तविक विकास संभव है।