देश का लाल… लाल बहादुर बेमिसाल

Picture of प्रणय विक्रम सिंह

प्रणय विक्रम सिंह

@SamacharBhaarti

प्रणय विक्रम सिंह

कहते हैं गुदड़ी में भी लाल होते हैं। आधुनिक भारत में २ अक्टूबर १९०४ को इस प्राचीन कहावत को उत्तर प्रदेश के मुगल सराय के रामनगर इलाके में एक सामान्य कायस्थ परिवार में लाल बहादुर नाम के ध्रुव तारे का अवतरण के साथ ही मूर्त स्वरूप प्राप्त हुआ। मंझोले कद के समान्य शरीर सौष्ठव वाले इस बालक को विधाता ने मां भारती के करुण निवेदन के पश्चात पृथ्वी पर भेजा था। शायद इसी कारण एकलव्य के समान अक्षय ध्येय निष्ठा, गांधी के समतुल्य सत्य के प्रति आग्रह, चाणक्य जैसी राजनीतिक समझ और मां जैसी उदारता के उदात्त गुणों से प्रकृति ने उन्हे नवाजा भी था। सामान्य किसान के घर में जन्म लेने से लेकर अन्तिम समय तक गौरवशाली देश का नेतृत्व करने वाले लालबहादुर शास्त्री जी का जीवन अभावों और संसाधनहीनता की वेदनापूर्ण अभिव्यक्ति है।

उनका जीवन उन व्यक्तियों के लिए प्रेरणा है जो संसाधनहीनता के कारण प्रगति न कर पाने की दुहाई देते हैं। कथित सभ्य समाज की निष्ठुर शैली पर प्रहार है, जो वंचित को अति वचिंत बनाने में ही सन्तुष्ट होती है, जहां निर्धनता पूंजी  के आंगन में मुजरा करती है और सभ्यता उसकी मजबूरी का तमाशा देखती है। वह सच्चे अर्थों में आधुनिक भारत के एकलव्य थे। संघर्ष और उनका चोली दामन का साथ था। जन्म के १८ माह पश्चात ही पिता की छांव  से वह वंचित हो गये। इतने बड़े संसार मे विधवा मां और दो बड़ी बहनों के छोटे भाई के रूप में होने वाली दुरूहताओं और चुनौतियों की कल्पना सहज ही की जा सकती है।
एक तरफ अभावों का जीवन तो दूसरी तरफ संस्कारों में पगती विचारधारा, विधाता का अद्भुत नियोजन था एक नायक को गढने का। अभाव जहां उन्हे स्वावलम्बन की सीख दे रहा था तो वहीं संस्कार मूल्यपरक दृष्टि और जीवटता प्रदान कर रहे थे। स्वाभिमान की रक्षा के लिए ही किशोरावस्था में एक बार उन्होनें धनाभाव के कारण घूमने गए अपने साथियों को नाव से जाने कह कर खुद नदी की उफनती जल-धाराओं को तैरकर पार किया। नदी की उफनती तरंगों को चुनौती देकर अपनी मंजिल तक पहुंचने की जिद ने ही उनके अंदर संकट से जूझने और जीतने की लालसा को विस्तार दिया। जिस प्रकार राजकुमार सिद्घार्थ को प्रकृति हवा के माध्यम से संदेश दे रही थी उसी प्रकार उफनती जल तरंगों की चुनौतियों को स्वीकार कर विजित करने वाले किशोर लाल बहादुर के रूप में प्रकृति आने वाले वक्त को बेशकीमती लाल के गुदड़ी में छिपे होने का संदेश दे चुकी थी। एक नायक का अवतरण हो चुका था। स्वाधीनता के संघर्ष में पगा यह गांधीवादी आजाद भारत की सक्रिय राजनीति का ध्रुव तारा बनने को तैयार था।

राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन इनके राजनीतिक गुरू रहे। शास्त्री जी अब पूरी तरह देश की राजनीति मे मंझ चुके थे। उस समय सर्वेंट्स ऑफ द पीपुल सोसाइटी के अध्यक्ष टंडन व पंडित नेहरू दोनो थे और दोनो के विचार वैभिन्य को समाप्त करने का दायित्व शास्त्री जी ने ले लिया था, इस तरह उनका नाम एक समझौताकार के रूप मे प्रसिद्ध हो गया। 1947 मे भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति के समय पंडित गोविन्द वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होने कुछ माह के बाद ही शास्त्री जी को अपने मंत्रीपरिषद में पुलिस व यातायात मंत्री का दायित्व सौप दिया। मंत्री बनने के बावजूद भी उनकी जीवन शैली में कोई परिवर्तन नही आया। हां पुलिस का रूप परिवर्तित तथा सडक यातायात का विकास अवश्य हुआ। सडक यातायात का राष्ट्रीयकरण भी शास्त्री जी के प्रयासो का परिणाम है। 1950 मे टंडन जी के त्यागपत्र देने के बाद शास्त्री जी को कांग्रेस का महामंत्री बनाया गया। 1952 के आम चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत से जीत दर्ज की और शास्त्री जी राज्य सभा के लिये चुन लिये गये। पं नेहरू ने इनकी योग्यता को देखते हुए रेल व यातायात के केंद्रीय मंत्री का दायित्व सौपा किंतु सन 1955 मे दक्षिण भारत के अरियाल के समीप की रेल दुर्घटना, जिसमे 150 लोग हताहत हुये थे, की नैतिक दायित्व अपने ऊपर लेते हुए त्यागपत्र दे दिया। 1961 मे उन्हे गृह मंत्री बनाया गया। चीन के धोखे व विश्वासघात तथा उसके हाथो भारत की पराजय के बाद नेहरू जी दिल के भयानक दौरे के शिकार हो गये तो साथ देने के लिये शास्त्री जी को बिना विभाग के मंत्री के रूप मे मंत्रिमंडल मे शामिल कर लिया गया और वे नेहरू जी के कार्यों मे तब तक सहयोग करते रहे जब तक 27 मई 1964 को नेहरू जी का देहांत न हो गया। 9 जून 1964 को शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।

जब वह प्रधान मंत्री बने तब चीनी हमले के बाद सुरक्षा, खर्च का भार, नेहरू जैसे पथ-प्रदर्शक का न होना, ऊपर से महंगाई की मार, खाद्यान्न की भारी कमी, आदिकठिन परिस्थितियों से देश गुजर रहा था। अपने कार्यकाल में उन्होंने अपने अग्रज नेहरू जी की हरित क्रांति,  दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में श्वेत क्रांति के कार्यक्रमों का विस्तार किया। उनकी बात का ऐसा जादू चलता था कि आम जनता में आत्मविश्वास और राष्ट्रीयता के भावना प्रबल होने लगी थी। असल में उनका कार्यकाल युद्धकाल की तमाम कठिनाइयों से पटा पड़ा था। शास्त्री के शब्दों में गजब की ताकत थी। महंगाई से लडने के लिए उन्होंने नारा दिया दिया, सब्जी खाओ तो दाल मत खाओ और उन्होंने खुद अपने घर में दो चीजें बनवानी बंद कर दीं। उन्होंने एक दिन उपवास रखने की अपील की तो पूरे देश ने एक दिन का व्रत रखना शुरू कर दिया। न कोई कानून बनाया न पुलिस का डंडा चलाया, पूरा देश उनके समर्थन में उठ खड़ा हुआ, जमाखोरी बंद हो गयी, दाम घटने लगे! जैसे जादू की छड़ी से सब कुछ हो रहा हो! हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने अपने पास उसी जादू की छड़ी के न होने की बेबसी कई बार सार्वजनिक मंचो पर जाहिर भी की है। खैर शासन की बागडोर थामे शास्त्रीजी को दस महीने भी नहीं बीते थे कि अगस्त 1965 में पाकिस्तान ने कच्छ की रन में हमला बोल दिया। निर्माण योजनाओं पर खर्च कम करके सुरक्षा पर खर्च बढ़ाना मजबूरी हो गयी तो उस समय संकट से लडने के लिए शास्त्री जी ने देश की जनता का मनोबल बढ़ाते हुए आह्वान किया…भले हम गरीबी में रह लेंगे, परंतु अपनी भूमि नहीं देंगे! उनके इस उद्बोधन पर समूचा राष्ट्र आंदोलित हो गया। पूरा देश जय जवान, जय किसान के नारों से गुंजायमान हो उठा!

शास्त्रीजी ने तीनों सेना के अपने प्रमुखों को बुलाकर परामर्श किया और जनरलों को हमला नाकाम करने का आदेश दे दिया।  भारतीय सेना ने पाक हमलावरों की बड़ी पिटायी की और पाकिस्तानी गुरूर को मटियामेट कर दिया। मगर उसी बीच संयुक्त राष्ट्रसंघ के दबाव में युद्धविराम हो गया जो अस्थायी साबित हुआ। उस समय कुछ लोग उन पर हिंदू संप्रदायवादी होने का आरोप लगा रहे थे। इनमें बीबीसी, लंदन प्रमुख था। युद्ध विराम के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए शास्त्रीजी ने कहा, भारत की विशिष्टता है, यहां हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख,  पारसी सभी धर्मों को मानने वाले हैं। हम सब बराबर के भारतीय हैं। 11 जनवरी 1966 को रूस में दिल का दौरा पडने के कारण वे दिवंगत हो गये। वह सच्चे अर्थों में गांधीवादी थे। अगर महात्मा राष्ट्र पिता थे तो शास्त्री जी भारत मां के सच्चे सपूत। ऐसी हुतात्मा को उनकी पुण्यतिथि पर  कोटि-कोटि श्रद्धांजलि!

Share this post:

READ MORE NEWS...

LIVE CRICKET SCORE

CORONA UPDATE

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

RASHIFAL

2024 Reserved Samachar Bhaarti | Designed by Best News Portal Development Company - Traffic Tail