UPSC के विषयों की सूची में शामिल हो सकता है ‘मास कम्युनिकेशन’!

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प्रणय विक्रम सिंह

@SamacharBhaarti

समाचार भारती डेस्क

‘पत्रकारिता एवं जनसंचार’  को सिविल सर्विसेज की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने की मांग अब और जोर पकड़ने लगी है।  मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहे छात्र -छात्राओं  ने  संघ  लोक  सेवा  आयोग (UPSC) को पत्र लिख कर यह अपील की है कि हजारों छात्रों के हितों का ध्यान रखते हुए ‘ पत्रकारिता एवं जनसंचार ‘ को भी ऑप्शनल विषयों की सूची में शामिल किया जाए ताकि जो छात्र-छात्राएं इस विषय में ग्रेजुएशन या पोस्टग्रेजुएशन कर रहे हैं उन्हें सिविल सर्विस परीक्षा के लिए मजबूरन दूसरा विषय ना चुनना पड़े।

यूपीएस अध्यक्ष को सम्बोधित इस पत्र में छात्रों ने ‘पत्रकारिता एवं जनसंचार ‘ को एक लोकप्रिय, प्रासंगिक, पुराना और स्थापित विषय बताया है। छात्रों के अनुसार पत्रकारिता और मास कम्यूनिकेशन भारत के अलग अलग विश्वविद्यालयों में पिछले 78 साल से पढ़ाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष की बात करें तो यह 111 साल पुराना विषय है।

भारत के अधिकतम केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य स्तरीय सरकारी विश्वविद्यालयों एवं प्राइवेट विश्वविद्यालयों में ह्यपत्रकारिता एवं जनसंचारह्ण अथवा मीडिया अध्ययन के विभाग हैं जो ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएशन और डॉक्टरेट स्तर के कोर्सेज चला रहे हैं। बड़ी संख्या में बच्चे इस विषय को पढ़ रहे हैं।

छात्रों ने UPSC अध्‍यक्ष को लिखे पत्र में लिखा, महोदय, उन छात्रों की पीड़ा की कल्पना कीजिए, जिन्होंने स्नातक और मास्टर स्तरों पर पत्रकारिता और जनसंचार की पढ़ाई की है. इस विषय पर पांच साल बिताने के बाद, अगर वे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला लेते हैं, तो उन्हें वैकल्‍पिक पेपर के लिए एक बिल्कुल नए विषय का चयन करने के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि पत्रकारिता और जनसंचार 48 वैकल्पिक विषयों की सूची में शामिल नहीं है। इसकी वजह से स्‍टूडेंट्स को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

छात्रों ने अपने पत्र में इस विषय की प्रासंगिकता की भी चर्चा की है। उनके अनुसार ‘पत्रकारिता एवं जनसंचार’ इस आधुनिक समाज में सभी प्रशासनिक कार्यों के लिए काफी प्रासंगिक है, क्योंकि मीडिया और अन्य संचार उपकरण हमारे जीवन के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। समाज और राष्ट्र निर्माण में समाचार मीडिया और विकास संचार के महत्व को कोई भी नकार नहीं सकता।

पत्र भेजने वाले छात्रों का कहना है कि यह दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू , जामिया मिल्लिया और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों का एक छोटा सा प्रयास है ताकि इस मुद्दे पर हम यूपीएससी सहित राज्य स्तरीय अन्य लोक सेवा आयोगों का भी ध्यान आकर्षित कर पाएं।

पत्र लिखने वाले छात्रों की माने तो मास कम्युनिकेशन के छात्र इस समस्या का सामना काफी दिनों से कर रहे हैं। अभी हाल ही में स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया स्टडीज, इग्नू के शिक्षक डॉ. अमित कुमार द्वारा इसी विषय पर किये जा रहे ऑनलाइन सर्वे ने हमारा ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित किया और हमने यूपीएससी अध्यक्ष को अपना अनुरोध भेजने का फैसला किया।

बताते चले कि छात्र मानव संसाधन मंत्रालय को भी पत्र भेजने की सोच रहे हैं। छात्रों ने बाकी छात्रों से भी अपील की कि वे भी अपने स्तर पर यूपीएससी अथवा अन्य राज्य स्तरीय लोक सेवा आयोगों को पत्र भेज कर ‘पत्रकारिता एवं जनसंचार ‘ को सिविल सेवा की परीक्षा में ऑप्शनल विषय के रूप में शामिल करने का अनुरोध करें।

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